नोक झोंक... pati -patni ki.
अजी सुनती हो ?
नहीं ... मैं तो जनम कि बहरी हूँ ।
मैंने ऐसा कब कहा ?
तो अब कह लो, पूरी कर लो एक साथ, कोई भी हसरत अधूरी क्यों रहे ?
अरी भाग्यवान!!
सुनो एक बात.... आइन्दा मुझे भाग्यवान तो कहना मत , फूट गए नसीब मेरे तुमसे शादी करके और कहते हो भाग्यवान.हुह..।
एक कप चाय मिलेगी?
एक कप क्यों? लोटा भर मिलेगी और सुनो .... किसको सुना रहे हो ?मैं क्या चाय बना के नहीं देती ?
अरे यार कभी तो सीधे मुह बात ...
बस .... आगे मत बोलना. नहीं आता मुझे सीधे मुँह बात करना.... मेरा तो मुँह ही टेढ़ा है , यही कहना चाहते हो ना ?
हे भगवान
हाँ ... माँग लो भगवान जी से एक कप चाय ।
मै चली नहाने, और सुनो मुझे शैम्पू भी करना है.... देर लगेगी.....बच्चों को स्कूल से ले आना .... मेरे अकेले के नहीं हैं ..।
अरे ये सब क्या बोलती हो ?
क्यों झूठ बोल दिया क्या ? मैं क्या दहेज़ में ले कर आयी थी इनको ?
अरे मैं कहाँ कुछ बोल रहा हूँ ?
अरे मेरे भोले बाबा, तुम कहाँ बोलते हो ? मैं तो चुप थी .... बोलना किसनेशुरू किया ? बताओ ...?
अरे मैंने तो एक कप चाय मांगी थी।
चाय मांगी थी या मुझे बहरी कहा था ? क्या मतलब था तुम्हारा ? "अजी सुनती हो ..... ? क्या मतलब था बताओगे ?
अरे श्रीमती जी...कभी तो मीठे से बोल लिया करो।
अच्छा...?. मीठा नहीं बोली मैंकभी ? तो ये दो दो नमूने क्या पड़ोसी के हैं. ? देख लिया है मीठा बोल कर....।बस अब और मीठा बोलने कि हिम्मत नहीं है.।
भूल रही हो मैडम .
क्या भूल रही हूँ..?
अरे मुझे बात तो पूरी करने दो. मैं कह रहा था कि पति हूँ तुम्हारा...
अच्छा ..... मुझे नहीं पता था. सूचना के लिए धन्यवाद।
अरे नहीं चाहिए मुझे तुम्हारी चाय... बक बक बंद करो।
अरे वाह!! तुम्हे तो बोलना भी आता है ? बहुत अच्छे....चाय पी के जाओ.... बाद में नहा लूँगी।
गज़ब हो तुम भी.... पहले तो बिना बात लड़ती हो फिर बोलती हो पी के जाओ।
तो क्या करूँ जी ? तुम लड़ने का मौका कहाँ देते हो ?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें