गुरुवार, 1 अक्टूबर 2015

कब्ज़ की शिकायत

एक बार एक नवाब साहब को कब्ज़ की शिकायत हो गई़,
उनका लङका हकीम साहब के पास गया,
लङका: हकीम साहब, वालिद साहब को कब्ज़ की शिकायत हो गई है,
हकीम: सफूफ मुसहिल देकर बोले, नीम गरम पानी से खिला देना, दस्त आयेंगे, पेट साफ हो जायेगा, घबराना नहीं।
4 घंटे बाद लङका आया और बोला
हकीम साहब वालिद साहब को 3-4 दस्त हो गए।
हकीम: कोई बात नहीं, दस्त और आयेंगे, आने दो।
6 घंटे बाद ......
लङका: हकीम साहब, 9 -10 दस्त होगए।
हकीम: कोई बात नहीं, दस्त और आयेंगे, आने दो।
शाम को
लङका: हकीम साहब, 20-25 दस्त हो गए, कम्ज़ोरी आगई है।
हकीम: कोइ बात नहीं, दस्त और आयेंगे, आने दो।
रात को
लङका: हकीम .... साहब ..., 30-35 दस्त हो गए, वालिद साहब निढाल होकर बिस्तर पर लेट गए, बोलने तक की ताकत नहीं रही।
हकीम: कोइ बात नहीं, दस्त और आयेंगे, आने दो।
सुबह 5 बजे
लङका: हकीम के बच्चे, वालिद साहब इंतक़ाल फरमा गए।
हकीम: "इन्ना लिल्लाहे व इन्ना इलैहे राजेऊन।"
क्या करें
मरीज़ की
क़िस्मत दग़ा दे गई,
वरना दस्त और आते ..............

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

नरक ही ठीक है।

नरक ही ठीक है। एक धर्म गुरु एक शराबी को बोला - "इतना दारू पियोगे तो मृत्यु के बाद नरक में जायोगे।" शराबी - "तो जो दारू बेच र...